रक्तविर देवासी, पीड़ितों के लिए बने फरिश्ते 

रक्तदान महादान

घर बार सगे-संबंधी को रक्त देने में भी बहुतों को सौ बार सोचना पड़ता है, वही देवासी समाज में शख्स ऐसे भी है, जो रक्तदान का शतक लगाना चाहता है।  
साइबर सिटी में जहां रक्तदान करने वालों की लाइन छोटी है, वहीं कुछ ऐसे लोग हैं, जो समाज के लिए उदाहरण बन रहे हैं। 24 वर्षीय जगबीर और 40 वर्षीय विजय ने अपने जीवन का लक्ष्य बनाया हुआ है कि वो जब तक स्वस्थ रहेंगे, तब तक रक्तदान करते रहेंगे। दोनों का कहना है कि उन्हें नहीं मालूम कि वो रक्तदान किसके के लिए कर रहे हैं लेकिन वो यह जानते हैं कि यह रक्त किसी इंसान के काम आएगा। यही सोच कर वह पिछले वर्षों से लगातार रक्तदान कर रहे हैं। दोनों ने बताया कि समाज में जो डर बना हुआ है कि रक्तदान करने से कमजोरी आ जाती है, वह एक झूठ है। रक्तदान करने से शरीर स्वस्थ रहता है। यह संदेश अपने साथियों को देते हैं।
मैं पिछले 20 वर्ष से लगातार रक्तदान कर रहा हूं। अभी तक 45 बार से ज्यादा रक्तदान कर चुका हूं। मेरा मानना है कि हर व्यक्ति को रक्तदान करना चाहिए। मैंने 1995 में यह मकसद बना लिया था कि जब तक स्वस्थ रहूंगा, तबतक रक्तदान करना है। इसके लिए मैंने जिला ब्लड बैंक में अपना फोन नंबर भी दिया है ताकि मैं समय पर जरूरतमंद को रक्तदान कर सकूं। मेरी समाज के युवाओं से अपील है कि हर तीन माह में रक्तदान कर दूसरे को नया जीवन देने में सहयोग करें।
विजय भारद्वाज, सेक्टर 10 ए निवासी
जब मेरी बुआ को रक्त की जरूरत पड़ी थी तो मैं 19 वर्ष का था। तब मैंने पहली बार रक्तदान किया और उसी समय समझ में आया कि रक्तदान करना कितना जरूरी है। उसके बाद मैंने मन बना लिया था कि हर तीन माह बाद रक्तदान करना है और अब मैं हर तीन माह बाद रक्तदान कर रहा हूं। अभी तक मैं 5 वर्ष में 20 बार रक्तदान कर चुका हूं। मेरी युवा साथियों से अपील है कि रक्तदान कर अनजान मरीज की सहायता करें।
जगबीर, गांव पथरेड़ी
साइबर सिटी में जहां रक्तदान करने वालों की लाइन छोटी है, वहीं कुछ ऐसे लोग हैं, जो समाज के लिए उदाहरण बन रहे हैं। 24 वर्षीय जगबीर और 40 वर्षीय विजय ने अपने जीवन का लक्ष्य बनाया हुआ है कि वो जब तक स्वस्थ रहेंगे, तब तक रक्तदान करते रहेंगे। दोनों का कहना है कि उन्हें नहीं मालूम कि वो रक्तदान किसके के लिए कर रहे हैं लेकिन वो यह जानते हैं कि यह रक्त किसी इंसान के काम आएगा। यही सोच कर वह पिछले वर्षों से लगातार रक्तदान कर रहे हैं। दोनों ने बताया कि समाज में जो डर बना हुआ है कि रक्तदान करने से कमजोरी आ जाती है, वह एक झूठ है। रक्तदान करने से शरीर स्वस्थ रहता है। यह संदेश अपने साथियों को देते हैं।
मैं पिछले 20 वर्ष से लगातार रक्तदान कर रहा हूं। अभी तक 45 बार से ज्यादा रक्तदान कर चुका हूं। मेरा मानना है कि हर व्यक्ति को रक्तदान करना चाहिए। मैंने 1995 में यह मकसद बना लिया था कि जब तक स्वस्थ रहूंगा, तबतक रक्तदान करना है। इसके लिए मैंने जिला ब्लड बैंक में अपना फोन नंबर भी दिया है ताकि मैं समय पर जरूरतमंद को रक्तदान कर सकूं। मेरी समाज के युवाओं से अपील है कि हर तीन माह में रक्तदान कर दूसरे को नया जीवन देने में सहयोग करें।
विजय भारद्वाज, सेक्टर 10 ए निवासी
जब मेरी बुआ को रक्त की जरूरत पड़ी थी तो मैं 19 वर्ष का था। तब मैंने पहली बार रक्तदान किया और उसी समय समझ में आया कि रक्तदान करना कितना जरूरी है। उसके बाद मैंने मन बना लिया था कि हर तीन माह बाद रक्तदान करना है और अब मैं हर तीन माह बाद रक्तदान कर रहा हूं। अभी तक मैं 5 वर्ष में 20 बार रक्तदान कर चुका हूं। मेरी युवा साथियों से अपील है कि रक्तदान कर अनजान मरीज की सहायता करें।
जगबीर, गांव पथरेड़ी
साइबर सिटी में जहां रक्तदान करने वालों की लाइन छोटी है, वहीं कुछ ऐसे लोग हैं, जो समाज के लिए उदाहरण बन रहे हैं। 24 वर्षीय जगबीर और 40 वर्षीय विजय ने अपने जीवन का लक्ष्य बनाया हुआ है कि वो जब तक स्वस्थ रहेंगे, तब तक रक्तदान करते रहेंगे। दोनों का कहना है कि उन्हें नहीं मालूम कि वो रक्तदान किसके के लिए कर रहे हैं लेकिन वो यह जानते हैं कि यह रक्त किसी इंसान के काम आएगा। यही सोच कर वह पिछले वर्षों से लगातार रक्तदान कर रहे हैं। दोनों ने बताया कि समाज में जो डर बना हुआ है कि रक्तदान करने से कमजोरी आ जाती है, वह एक झूठ है। रक्तदान करने से शरीर स्वस्थ रहता है। यह संदेश अपने साथियों को देते हैं।
मैं पिछले 20 वर्ष से लगातार रक्तदान कर रहा हूं। अभी तक 45 बार से ज्यादा रक्तदान कर चुका हूं। मेरा मानना है कि हर व्यक्ति को रक्तदान करना चाहिए। मैंने 1995 में यह मकसद बना लिया था कि जब तक स्वस्थ रहूंगा, तबतक रक्तदान करना है। इसके लिए मैंने जिला ब्लड बैंक में अपना फोन नंबर भी दिया है ताकि मैं समय पर जरूरतमंद को रक्तदान कर सकूं। मेरी समाज के युवाओं से अपील है कि हर तीन माह में रक्तदान कर दूसरे को नया जीवन देने में सहयोग करें।
विजय भारद्वाज, सेक्टर 10 ए निवासी
जब मेरी बुआ को रक्त की जरूरत पड़ी थी तो मैं 19 वर्ष का था। तब मैंने पहली बार रक्तदान किया और उसी समय समझ में आया कि रक्तदान करना कितना जरूरी है। उसके बाद मैंने मन बना लिया था कि हर तीन माह बाद रक्तदान करना है और अब मैं हर तीन माह बाद रक्तदान कर रहा हूं। अभी तक मैं 5 वर्ष में 20 बार रक्तदान कर चुका हूं। मेरी युवा साथियों से अपील है कि रक्तदान कर अनजान मरीज की सहायता करें।
जगबीर, गांव पथरेड़ी
साइबर सिटी में जहां रक्तदान करने वालों की लाइन छोटी है, वहीं कुछ ऐसे लोग हैं, जो समाज के लिए उदाहरण बन रहे हैं। 24 वर्षीय जगबीर और 40 वर्षीय विजय ने अपने जीवन का लक्ष्य बनाया हुआ है कि वो जब तक स्वस्थ रहेंगे, तब तक रक्तदान करते रहेंगे। दोनों का कहना है कि उन्हें नहीं मालूम कि वो रक्तदान किसके के लिए कर रहे हैं लेकिन वो यह जानते हैं कि यह रक्त किसी इंसान के काम आएगा। यही सोच कर वह पिछले वर्षों से लगातार रक्तदान कर रहे हैं। दोनों ने बताया कि समाज में जो डर बना हुआ है कि रक्तदान करने से कमजोरी आ जाती है, वह एक झूठ है। रक्तदान करने से शरीर स्वस्थ रहता है। यह संदेश अपने साथियों को देते हैं।
मैं पिछले 20 वर्ष से लगातार रक्तदान कर रहा हूं। अभी तक 45 बार से ज्यादा रक्तदान कर चुका हूं। मेरा मानना है कि हर व्यक्ति को रक्तदान करना चाहिए। मैंने 1995 में यह मकसद बना लिया था कि जब तक स्वस्थ रहूंगा, तबतक रक्तदान करना है। इसके लिए मैंने जिला ब्लड बैंक में अपना फोन नंबर भी दिया है ताकि मैं समय पर जरूरतमंद को रक्तदान कर सकूं। मेरी समाज के युवाओं से अपील है कि हर तीन माह में रक्तदान कर दूसरे को नया जीवन देने में सहयोग करें।
विजय भारद्वाज, सेक्टर 10 ए निवासी
जब मेरी बुआ को रक्त की जरूरत पड़ी थी तो मैं 19 वर्ष का था। तब मैंने पहली बार रक्तदान किया और उसी समय समझ में आया कि रक्तदान करना कितना जरूरी है। उसके बाद मैंने मन बना लिया था कि हर तीन माह बाद रक्तदान करना है और अब मैं हर तीन माह बाद रक्तदान कर रहा हूं। अभी तक मैं 5 वर्ष में 20 बार रक्तदान कर चुका हूं। मेरी युवा साथियों से अपील है कि रक्तदान कर अनजान मरीज की सहायता करें।
जगबीर, गांव पथरेड़ी
साइबर सिटी में जहां रक्तदान करने वालों की लाइन छोटी है, वहीं कुछ ऐसे लोग हैं, जो समाज के लिए उदाहरण बन रहे हैं। 24 वर्षीय जगबीर और 40 वर्षीय विजय ने अपने जीवन का लक्ष्य बनाया हुआ है कि वो जब तक स्वस्थ रहेंगे, तब तक रक्तदान करते रहेंगे। दोनों का कहना है कि उन्हें नहीं मालूम कि वो रक्तदान किसके के लिए कर रहे हैं लेकिन वो यह जानते हैं कि यह रक्त किसी इंसान के काम आएगा। यही सोच कर वह पिछले वर्षों से लगातार रक्तदान कर रहे हैं। दोनों ने बताया कि समाज में जो डर बना हुआ है कि रक्तदान करने से कमजोरी आ जाती है, वह एक झूठ है। रक्तदान करने से शरीर स्वस्थ रहता है। यह संदेश अपने साथियों को देते हैं।
मैं पिछले 20 वर्ष से लगातार रक्तदान कर रहा हूं। अभी तक 45 बार से ज्यादा रक्तदान कर चुका हूं। मेरा मानना है कि हर व्यक्ति को रक्तदान करना चाहिए। मैंने 1995 में यह मकसद बना लिया था कि जब तक स्वस्थ रहूंगा, तबतक रक्तदान करना है। इसके लिए मैंने जिला ब्लड बैंक में अपना फोन नंबर भी दिया है ताकि मैं समय पर जरूरतमंद को रक्तदान कर सकूं। मेरी समाज के युवाओं से अपील है कि हर तीन माह में रक्तदान कर दूसरे को नया जीवन देने में सहयोग करें।
विजय भारद्वाज, सेक्टर 10 ए निवासी
जब मेरी बुआ को रक्त की जरूरत पड़ी थी तो मैं 19 वर्ष का था। तब मैंने पहली बार रक्तदान किया और उसी समय समझ में आया कि रक्तदान करना कितना जरूरी है। उसके बाद मैंने मन बना लिया था कि हर तीन माह बाद रक्तदान करना है और अब मैं हर तीन माह बाद रक्तदान कर रहा हूं। अभी तक मैं 5 वर्ष में 20 बार रक्तदान कर चुका हूं। मेरी युवा साथियों से अपील है कि रक्तदान कर अनजान मरीज की सहायता करें।
जगबीर, गांव पथरेड़ी
साइबर सिटी में जहां रक्तदान करने वालों की लाइन छोटी है, वहीं कुछ ऐसे लोग हैं, जो समाज के लिए उदाहरण बन रहे हैं। 24 वर्षीय जगबीर और 40 वर्षीय विजय ने अपने जीवन का लक्ष्य बनाया हुआ है कि वो जब तक स्वस्थ रहेंगे, तब तक रक्तदान करते रहेंगे। दोनों का कहना है कि उन्हें नहीं मालूम कि वो रक्तदान किसके के लिए कर रहे हैं लेकिन वो यह जानते हैं कि यह रक्त किसी इंसान के काम आएगा। यही सोच कर वह पिछले वर्षों से लगातार रक्तदान कर रहे हैं। दोनों ने बताया कि समाज में जो डर बना हुआ है कि रक्तदान करने से कमजोरी आ जाती है, वह एक झूठ है। रक्तदान करने से शरीर स्वस्थ रहता है। यह संदेश अपने साथियों को देते हैं।
मैं पिछले 20 वर्ष से लगातार रक्तदान कर रहा हूं। अभी तक 45 बार से ज्यादा रक्तदान कर चुका हूं। मेरा मानना है कि हर व्यक्ति को रक्तदान करना चाहिए। मैंने 1995 में यह मकसद बना लिया था कि जब तक स्वस्थ रहूंगा, तबतक रक्तदान करना है। इसके लिए मैंने जिला ब्लड बैंक में अपना फोन नंबर भी दिया है ताकि मैं समय पर जरूरतमंद को रक्तदान कर सकूं। मेरी समाज के युवाओं से अपील है कि हर तीन माह में रक्तदान कर दूसरे को नया जीवन देने में सहयोग करें।
विजय भारद्वाज, सेक्टर 10 ए निवासी
जब मेरी बुआ को रक्त की जरूरत पड़ी थी तो मैं 19 वर्ष का था। तब मैंने पहली बार रक्तदान किया और उसी समय समझ में आया कि रक्तदान करना कितना जरूरी है। उसके बाद मैंने मन बना लिया था कि हर तीन माह बाद रक्तदान करना है और अब मैं हर तीन माह बाद रक्तदान कर रहा हूं। अभी तक मैं 5 वर्ष में 20 बार रक्तदान कर चुका हूं। मेरी युवा साथियों से अपील है कि रक्तदान कर अनजान मरीज की सहायता करें।
जगबीर, गांव पथरेड़ी
साइबर सिटी में जहां रक्तदान करने वालों की लाइन छोटी है, वहीं कुछ ऐसे लोग हैं, जो समाज के लिए उदाहरण बन रहे हैं। 24 वर्षीय जगबीर और 40 वर्षीय विजय ने अपने जीवन का लक्ष्य बनाया हुआ है कि वो जब तक स्वस्थ रहेंगे, तब तक रक्तदान करते रहेंगे। दोनों का कहना है कि उन्हें नहीं मालूम कि वो रक्तदान किसके के लिए कर रहे हैं लेकिन वो यह जानते हैं कि यह रक्त किसी इंसान के काम आएगा। यही सोच कर वह पिछले वर्षों से लगातार रक्तदान कर रहे हैं। दोनों ने बताया कि समाज में जो डर बना हुआ है कि रक्तदान करने से कमजोरी आ जाती है, वह एक झूठ है। रक्तदान करने से शरीर स्वस्थ रहता है। यह संदेश अपने साथियों को देते हैं।
मैं पिछले 20 वर्ष से लगातार रक्तदान कर रहा हूं। अभी तक 45 बार से ज्यादा रक्तदान कर चुका हूं। मेरा मानना है कि हर व्यक्ति को रक्तदान करना चाहिए। मैंने 1995 में यह मकसद बना लिया था कि जब तक स्वस्थ रहूंगा, तबतक रक्तदान करना है। इसके लिए मैंने जिला ब्लड बैंक में अपना फोन नंबर भी दिया है ताकि मैं समय पर जरूरतमंद को रक्तदान कर सकूं। मेरी समाज के युवाओं से अपील है कि हर तीन माह में रक्तदान कर दूसरे को नया जीवन देने में सहयोग करें।
विजय भारद्वाज, सेक्टर 10 ए निवासी
जब मेरी बुआ को रक्त की जरूरत पड़ी थी तो मैं 19 वर्ष का था। तब मैंने पहली बार रक्तदान किया और उसी समय समझ में आया कि रक्तदान करना कितना जरूरी है। उसके बाद मैंने मन बना लिया था कि हर तीन माह बाद रक्तदान करना है और अब मैं हर तीन माह बाद रक्तदान कर रहा हूं। अभी तक मैं 5 वर्ष में 20 बार रक्तदान कर चुका हूं। मेरी युवा साथियों से अपील है कि रक्तदान कर अनजान मरीज की सहायता करें।
जगबीर, गांव पथरेड़ी
जहां रक्तदान करने वालों की लाइन छोटी है, वहीं कुछ ऐसे लोग हैं, जो समाज के लिए उदाहरण बन रहे हैं। शंकर देवासी और 41 वर्षीय सुखदेव देवासी ने अपने जीवन का लक्ष्य बनाया हुआ है कि वो जब तक स्वस्थ रहेंगे, तब तक रक्तदान करते रहेंगे। सुखदेव देवासी जोधपुर के जेतिवास गांव के रहने वाले है। दोनों का कहना है कि उन्हें नहीं मालूम कि वो रक्तदान किसके के लिए कर रहे हैं लेकिन वो यह जानते हैं कि यह रक्त किसी इंसान के काम आएगा। यही सोच कर वह पिछले वर्षों से लगातार रक्तदान कर रहे हैं। दोनों ने बताया कि समाज में जो डर बना हुआ है कि रक्तदान करने से कमजोरी आ जाती है, वह एक झूठ है। रक्तदान करने से शरीर स्वस्थ रहता है। यह संदेश अपने साथियों को देते हैं। 

66 बार कर चुके रक्तदान

66 times blood donationसुखदेव देवासी ने बताया की वो पिछले 27 वर्ष से लगातार रक्तदान कर रहे है, अभी तक सुखदेव देवासी 66  बार रक्तदान कर चुके है, वही शंकर देवासी 42  बार रक्तदान कर चुके है। सुखदेव देवासी बताते है 1990  में यह मकसद बना लिया था कि जब तक स्वस्थ रहूंगा, तब तक रक्तदान करना है, अभी तक मैं "राईका महासभा रक्तदान शिविर" के बैनर तले 22 बार रक्तदान कर चुका हूँ। मेरी समाज के युवाओं से अपील है कि हर तीन माह में रक्तदान कर दूसरे को नया जीवन देने में सहयोग करें। मेरी युवा साथियों से अपील है कि रक्तदान कर अनजान मरीज की सहायता करें।
RATKTDAAN MAHADAAN
BLOOD DONATION 


चाचा को रक्त की आवश्यकता होने पर हुआ सफर

जब मेरी चाचा को रक्त की जरूरत पड़ी थी तो तब मैंने पहली बार रक्तदान किया और उसी समय समझ में आया कि रक्तदान करना कितना जरूरी है। उसके बाद मैंने मन बना लिया था कि हर तीन माह बाद रक्तदान करना है और अब मैं हर तीन माह बाद रक्तदान कर रहा हूं। 

पारस देवासी का जिंदगी बचाने का कारनामा 

Blood donationपिछले एक साल से सोशल मीडिया पर सक्रिय "लाल बूंद जिंदगी रक्षक" नाम से व्हाट्सएप समूह रक्त के जरूरतमंदों के लिए वरदान साबित हो रहा है। रोजाना समूह के सदस्य रक्तदान देकर जान बचा रहे हैं। किसी भी रक्त ग्रुप की आवश्यकता होने पर लाल बूंद जिंदगी रक्षक व्हाट्सएप समूह से संपर्क करने पर समूह के सदस्य कई किलोमीटर का सफर तय पर मरीज की जान बचाने के लिए रक्तदान करने पहुंच जाते हैं।  ऐसे में ही सांचोर के एक निजी अस्पताल में भर्ती मरीज वागाराम पुत्र कुम्भाराम खारा सांचोर निवासी का एक्सीडेंट होने कारण अस्पताल में भर्ती करवाया गया जहां डॉक्टर ने एक यूनिट B+ रक्त की आवश्यक्ता बताई तो मरीज के साथ आये परिजन सुरेश जी गोदारा
खारा निवासी जो लाल बून्द जिंदगी रक्षक ग्रुप के नियमित रक्तदाता थे ओर उनका ब्लड ग्रुप AB+ था तो सुरेश ने लाल बून्द जिंदगी रक्षक की टीम से संपर्क किया और एक यूनिट B+ खून की व्यवस्था के लिए कहा तो टीम के सुरेश कांवा ने ग्रुप के कर्मठ रक्तविर पारस जी देवासी (नीता गारमेंट्स, सांचोर) बड्सम सांचोर निवासी से संपर्क किया तो पारस जी मानवता का फर्ज निभाते हुए हाथो हाथ अस्पताल पहुँचे और रक्तदान करने के लिए अपना हाथ आगे कर दिया पारस जी की इस सेवा भावना को देखकर स्टाफ भी सकते में आ गया ओर पारस जी ने रक्तदान कर परिवारजनों को हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। ये समूह केवल सोशल मीडिया पर ही नहीं आम लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।

रक्तदान करने से बीमारियां होती दूर 

इसीलिए लोग रक्तदान करने से बचते हैं। वे सोचते हैं कि इससे शरीर में कमजोरी आ जाती है। पर यह धारणा सही नहीं है। शरीर के कुल वजन में सात फीसद रक्त ही होता है। पर मुश्किल यह है कि न तो रक्त का कारखाने में उत्पादन किया जा सकता है और न इसका अभी तक कोई विकल्प ही उपलब्ध है। रक्तदान करने से मनुष्य के शरीर पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता। अलबत्ता शोध से यह स्थापित हो चुका है कि रक्तदान करने वालों को हार्ट अटैक की बीमारी कम होती है। इतना ही नहीं इससे कैंसर और अन्य कई बीमारियों का खतरा भी कम हो जाता है।

जहां तक रक्तदान से शरीर में कमजोरी आ जाने की भ्रांति का सवाल है, वास्तविकता तो यह है कि रक्तदान के फौरन बाद बोर्न मैरो शरीर में नई रक्त कोशिकाएं बना देता है। जितना रक्त व्यक्ति दान करता है, उसकी पूर्ति शरीर स्वयं ही 72 घंटे के भीतर कर लेता है। डाक्टर गुप्ता मानते हैं कि रक्तदान कम होने का असली कारण लोगों में जागरूकता का अभाव है। जबकि कोई भी स्वस्थ व्यक्ति एक साल में आसानी से तीन-चार बार रक्तदान कर सकता है। अगर देश में तीन फीसद लोग भी रक्तदान करने लगें तो रक्त की कमी को दूर किया जा सकता है। इससे असमय होने वाली मौतों पर भी काबू पाया जा सकता है।