जोधपुर राईका बाग आंदोलन 1 जुलाई को
Raika Bag Aandolan
Dewasi Samaj Aandolan Jodhpur
जोधपुर। राईका समाज के लोगों में भारी रोष है उनका कहना है कि राईका बाग पैलेस जंक्शन का नाम परिवर्तन करके उसे राई का बाग पैलेस जंक्शन कर दिया है, यह रेलवे विभाग कि घोर लापरवाही है। इसलिए राईका देवासी समाज के लोग जोधपुर में 1 जुलाई को आंदोलन करने जा रहे है उनका मानना है यह सांस्कृतिक धरोहर के साथ खिलवाड़ और स्वाभिमान कि लड़ाई है। समाज के लोगों का कहना है कि इसको लेकर रेलवे के अधिकारियों व सरकार के साथ इस मामले को लेकर कई बार बैठक हुई है, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। जिसको लेकर राईका समाज के लोगों में आक्रोश है, आंदोलन में राजस्थान के अलावा विभिन्न राज्यों से राईका समाज के लोग पहुंचेंगे। राईका बाग स्टेशन और जोधपुर कलेक्ट्रेट के सामने विरोध-प्रदर्शन करेंगे। समाज के पदाधिकारियों ने बताया कि कई बार बताने के बावजूद केंद्र सरकार का रेलवे विभाग रेलवे स्टेशन का नाम सही नहीं कर रहा है। यह समाज का अपमान है. इसलिए आंदोलन का निर्णय लिया गया है. उल्लेखनीय है कि राईका बाग पैलेस का निर्माण सन् 1663-64 में महाराजा जसवंत सिंह प्रथम की हाड़ी रानी 'जसरंग दे' ने करवाया था। राईका बाग का इतिहास आशुरामजी राईका से जुडा हुआ है। जब आशुरामजी राईका मारवाड़ आए तब यहाँ पर ऊंटों में एक भयंकर बिमारी चल रही थी। जिसका किसी वैद्य के पास इलाज नहीं था। जब उन ऊंटों का इलाज बहुत कोशिश के बाद भी नहीं हो पाया तब मारवाड़ के तत्कालीन राजा ने उन्हें राज्य के बाहर बिठाने का आदेश दिया। ताकि बिमारी अन्य जानवरों में न फैल जाए। आशुरामजी पशुप्रेमी थे और ऊंटों के जानकार थे। वे राज्य के बाहर ही रुक गये। उनका इलाज किया, जल्द ही सारे ऊंट स्वस्थ हुए तब राजा ने उन्हें दरबार में बुलाया और उन्हें दरबार में पद दिया और रहने के लिए उनको एक ढाणी दी। एक बार रानी जी वो जमीन देखीं उनको वो बहुत पसंद आई और उन्होंने राजा से उस जमीन की मांग की तब राजा ने कहा में दिया हुआ वापस नहीं मांग सकता तुम उसको भाई बना लो और उपहार रूप में वो जमीन मांग लेना। रानी ने वैसा ही किया और आशुरामजी ने अपनी जमीन उनको दे दी तब रानी ने वहाँ एक बाग का बनवाया और आशुरामजी का नाम अमर करने के लिए उसका नाम "राईका बाग" रखा। बाग के पास एक तालाब बनवाया जिसका नाम "आशानाडा" रखा, आशुरामजी ने आजीवन दरबार में सेवा दी कई महत्वपूर्ण पदों पर भी रहे। वहाँ के रेलवे स्टेशन का नाम भी राईका बाग रेलवे स्टेशन रखा गया। आज वह एक पर्यटन स्थल है और वहाँ पर आशुरामजी की प्रतिमा भी स्थापित है। लालसिंह देवासी ने बताया कि राई होने से यह लगता है कि यहां राई मसाले का बाग है, जबकि हकीकत में यह राईका देवासी समाज से जुड़ा है। रेलवे विभाग कि गलती से समाज की भावना आहत हो रही है।
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