पशुपालक अपने हितों को लेकर सड़क पर उतरा 

Dewasi Samaj





पाली में देवासी समाज ने रविवार को पशुपालकों की मांगों को लेकर एक बड़ी रैली निकाली और कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। भारतीय पशुपालक संघ के अध्यक्ष लालसिंह देवासी के नेतृत्व में आयोजित इस रैली में देवासी समाज के लोग नारेबाजी करते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचे। ज्ञापन में कहा गया कि यदि सरकार अगले तीन महीनों में उनकी मांगों पर ठोस कदम नहीं उठाती, तो पशुपालक बड़ा आंदोलन करेंगे और इसकी जिम्मेदारी पुलिस और प्रशासन की होगी। रैली में सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए थे और इसमें समाज के नेताओं ने एकजुटता की अपील की।


पशुपालकों की मांगों को लेकर देवासी समाज ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा, जिसमें कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान देने की अपील की गई है:

पशुपालकों के मुख्य मुद्दे 

1. निशुल्क चराई और परमिशन: राजस्थान और अन्य राज्यों के जंगलों में निशुल्क चराई का अधिकार दिया जाए और वहां जाने के लिए परमिशन की व्यवस्था की जाए। 

2. पलायन मार्गों और सुरक्षा: परंपरागत पलायन मार्गों को खोला जाए और पलायन के दौरान सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। 

3. चोरी की रोकथाम: पशुओं की चोरी के मामलों में प्रभावी पुलिस कार्रवाई की जाए और चोरों को पकड़ा जाए। 

4. बऊंट कानून: बऊंट कानून को रद्द किया जाए। 

5. मूल्य समर्थन और चिकित्सा: भेड़ की ऊन और ऊंटनी के दूध की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की जाए, निशुल्क दवाओं और चिकित्सा की सुविधा प्रदान की जाए, और बीमारी या दुर्घटना में मौत होने पर उचित मुआवजा दिया जाए। 

6. आवास और बाड़े: पशुपालकों के वर्तमान आवास और बाड़ों को निशुल्क पट्टा देकर नियमन किया जाए। 

7. बीमा और लोन: पशुओं के लिए बीमा और लोन की विशेष व्यवस्था की जाए। 

8. मिगन टैक्स: स्थानीय पंचायतों द्वारा लगाए जा रहे मिगन टैक्स पर तुरंत प्रतिबंध लगाया जाए। 

9. शिक्षा और हॉस्टल: पशुपालकों के बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था की जाए, प्रत्येक तहसील में आवासीय विद्यालयों की व्यवस्था हो, और बड़े शहरों और दिल्ली में अलग-अलग हॉस्टल की व्यवस्था की जाए। 

10. उच्च शिक्षा: पशुपालकों के बच्चों के लिए मेडिकल, इंजीनियरिंग और बिजनेस कॉलेज की व्यवस्था हो और एक पशुपालक विश्वविद्यालय की स्थापना की जाए। 

11. आरक्षण: एमबीसी रिजर्वेशन को नवीं अनुसूची में शामिल किया जाए।


ज्ञापन सौंपने के दौरान सुरक्षा के लिए भारी पुलिस बल तैनात था, जिसमें तहसीलदार जितेन्द्र बबेरवाल और अन्य सुरक्षा अधिकारी शामिल थे।