सामान्य घरों की दो बेटियां, बनी देवासी समाज की पहली डॉक्टर

two daughters of common houses, first doctor of dewasi society

Bhavri Dewasi,Santosh Rabari , Dr. Ladu Dewasi, Dr. Kavita Dewasiदेवासी समाज, वह समाज जिसने कभी रुकना नहीं सीखा। दिन रात कठिन मेहनत, जीवन की विषम परिस्थितियां, रहने का ठिकाना और ही आजीविका का कोई स्थायी बंदोबस्त। अपनी जिम्मेदारियों से कभी मुहं नहीं मोड़ा तो अपने अधिकारों के लिए कभी कोई संघर्ष नहीं किया। पशुपालन में ही समाज की कई पीढिय़ां खप गई। खासकर मारवाड़ के छोटे छोटे गांवों में बसा यह समाज सुविधाओं और शिक्षा से कोसो दूर है, लेकिन इसी समाज की बेटियां वह करके दिखा रही हैं जिसकी कुछ समय पहले तक कल्पना तक नहीं की जा सकती थी। समाज की दो बेटियां हाल ही में डॉक्टर बनी है। पूरे समाज के लिए यह गर्व की बात क्योंकि समाज में पहले ऐसा कभी नहीं हुआ। नवपरगना रेबारी समाज के अध्यक्ष भूपत देसाई बताते हैं कि यह समाज में पहला अवसर है। जब कोई बेटी चिकित्सा सेवा में गई है। इसके अलावा दूसरी बेटियों में कोई वकील है तो कोई राजनीति के अहम पदों पर। कोई न्यायिक सेवाओं की तैयारी कर रही है तो कोई प्रशासनिक सेवाओं के लिए। वह भी पूरे आत्मविश्वास के साथ। पूरे समाज को इन पर गर्व है। ऐसी ही प्रतिभाओं का रविवार को सिरोही में सम्मान किया गया। इसी दौरान दैनिक भास्कर ने इस बेटियों से खास बातचीत की।

समयानुसार सोच को बदलने की जरूरत



मेरे पिताजी आर्मी में थे, फिर भी बेटी को पढ़ाना उनके और मेरे लिए संघर्षपूर्ण रहा। मेरी शुरूआती पढ़ाई के दौरान लोगों के ताने सुनने पड़े। लेकिन, कड़ी मेहनत और लगन से सफलता मिल गई। रूढि़वादी सोच को बदलकर बेटियों को आगे बढ़ने का मौका देना चाहिए। बेटियों के लिए छात्रावास होना चाहिए। -भंवरी देवासी, वकील, जोधपुर



चुनौतियों से गुजर कर बनी वकील


पिता बीएसएनएल में कर्मचारी है। परिवार की इकलौती बेटी हूं। ग्रामीण परिवेश में पली बढ़ी। कॉलेज की पढ़ाई के लिए जोधपुर भेजा गया तो ग्रामीणों ने माता-पिता को खूब भला बुरा सुनाया। लेकिन, परिवार का सकारात्मक सपोर्ट मिलने से कॉलेज और फिर वकालात की। -संतोष रेबारी, वकील, नाथद्वारा, राजसमंद

परिवार बना ताकत


सामान्यपरिवार में जन्म हुआ। पढ़ाई में होनहार होने से मेरा नवोदय स्कूल में चयन हो गया और वहीं मेरी लाइफ का टर्निंग प्वाइंट रहा। मेरा मकसद डॉक्टर बनकर गरीबों की सेवा करना था, इसलिए मेडिकल फील्ड को चुना। मेरे परिवार ने मुझे पूरा सहयोग दिया। यही मेरी सबसे बड़ी ताकत है। मैं सभी से यही कहना चाहूंगी कि बेटियों को जरूर पढ़ायें। -डॉ.लाडू देवासी, एमबीबीएस, सांचौर, जालोर


हमें परिजनों का सपोर्ट मिला, आप भी बेटियों को मौका दें


सामान्यपरिवार में जन्म होने से बेटी की पढ़ाई के बारे में सोचना भी नागवार होता था। लेकिन, पढ़ाई में होनहार होने से माता-पिता और गुरूजनों का सपोर्ट मिला। इसलिए मैं डॉक्टर बन सकी। यह सफलता मेरे से ज्यादा उन बेटियों को आगे बढ़ने का मौका देगी तो रूढि़वादिता की सोच में जकड़े हुए है। -डॉ.कविता देवासी, बीडीएस, रानीवाडा, जालोर

{देवासी समाज से पहली बार दो बालिकाएं बनी डॉक्टर, अन्य बेटियां वकील और राजनीति में अहम पदों पर

{बेटियों ने कहा- हमने विषम परिस्थितियां देखी, लेकिन ऊंचे सपनों और आत्मविश्वास ने बनाई हर राह आसान