God will save the honor of the brave daughter
Manju Raika Badmer
पचपन फीट गहरे कुएं में कूदकर ईश्वर को बचाने वाली
बाड़मेर की बहादुर बेटी मंजू राईका पर गुरुवार को पुरस्कारों की झड़ी लग गई। विभिन्न
संगठनों ने उण्डखा गांव स्थित मंजू के घर पहुंचकर बहादुरी के लिए उसका सम्मान किया।
हमीरपुरा मठ के महंत नारायणपुरी महाराज के सान्निध्य
में हुए सम्मान समारोह में किसान केसरी सीसै विद्यालय की ओर से प्रबंधक प्रेमाराम
भादू ने मंजू को 5 हजार रुपए का
नकद पुरस्कार व स्मृति चिह्न प्रदान कर एवं शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया।
मंजू के दादा मोटाराम राईका को
साफा पहनाया गया।
भादू ने कहा कि मंजू के
अध्ययन का खर्च किसान केसरी विद्यालय वहन करेगा। वह जहां कहीं भी जब तक अध्ययन करेगी,
तब तक विद्यालय परिवार अपना दायित्व निभाएगा।
श्री जेतेश्वर शिक्षा एवं शोध संस्थान की ओर से
अध्यक्ष अमराराम राईका ने बहादुर बेटी को 5100 रुपए नकद, प्रशस्ति पत्र देकर पुरस्कृत किया। संस्थान की ओर से अध्ययनकाल के दौरान प्रतिवर्ष 5
हजार रुपए छात्रवृत्ति देने की घोषणा की गई।
राईका युवा जागृति मंच की ओर से
अध्यक्ष चुतराराम
राईका ने 5 हजार रुपए का नकद
पुरस्कार दिया। जेतराम राईका व्यापार संघ की ओर से अध्यक्ष भैराराम राईका ने 1100 रुपए का नकद पुरस्कार दिया। राईका समाज
बाड़मेर-जैसलमेर के जिलाध्यक्ष मेहराराम राईका ने 2100 रुपए नकद देकर मंजू को सम्मानित किया। ओम श्री स्पोट्र्स
के प्रबंधक रघुवीरसिंह तामलोर ने 2100 रुपए नकद पुरस्कार दिया और घोषणा कि जब मंजू
का विवाह होगा, तब वह भाई की
हैसियत से जो सहयोग होगा, वह
प्रदान करेंगे। तथा साथ ही देवासी प्रवासी मित्रा ग्रुप
ऑफ़ इंडिया के सदस्यों ने भी 27 मार्च को सम्मेलन में सन्मानित करगे।
शिवसेना बाड़मेर की ओर से जिला प्रमुख बसंत खत्री के
निर्देशानुसार लीलसिंह उण्डखा ने मंजू को 11 हजार रुपए का चेक देकर पुरस्कृत किया।
मंजू ने बढ़ाया बेटियों
का गौरव
समारोह में महंत नारायणपुरी महाराज ने कहा कि 13
वर्षीय मंजू ने बहादुरी की जो मिसाल कायम की है,
वह प्रेरणादायक है। इस बहादुर बालिका ने
बेटियों को गौरवान्वित
किया है। उसके हौसले की जितनी तारीफ की जाए, वह कम है।
राईका समाज बाड़मेर-जैसलमेर के अध्यक्ष मेहराराम
राईका ने कहा कि मंजू के साहस ने देश भर में राईका समाज व बाड़मेर जिले को एक नई पहचान
दी है। समाज को इस बालिका पर गर्व है। प्रेमाराम भादू ने कहा कि 55 फीट गहरे कुएं में कूदकर मंजू ने अपने साढ़े चार वर्षीय मासूम भाई ईश्वर
को बचा लिया, इससे बड़ी बहादुरी व भाई-बहन के
प्रेम की मिसाल क्या हो सकती है। उसका साहस न केवल सलाम के योग्य है, बल्कि राष्ट्रपति पुरस्कार के योग्य है।
रघुवीरसिंह तामलोर ने कहा कि
बहादुर बेटी मंजू ने यह साबित किया है कि बाड़मेर की बेटियां बहादुरी में किसी से कम नहीं है।
कार्यक्रम में मांगाराम महाराज, पंचायत
समिति सदस्य शंकर देवासी तारातरा, शेराराम
अराबा, नीम्बाराम, ताजाराम, शेराराम भूंकू, उम्मेदाराम, अजाराम, बाबूराम,
देवीलाल भादू, जगमालराम, भूराराम शरीक हुए। संचालन चुतराराम राईका ने किया।
- 55 फीट गहरे कुएं में कूद मासूम ने 'ईश्वर' को बचाया
- सामान्य घरों की दो बेटियां, बनी देवासी समाज की पहली डॉक्टर
राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार की मांग करेंगे
प्रेमाराम भादू व रघुवीरसिंह तामलोर ने बताया कि
शुक्रवार को एक प्रतिनिधिमण्डल जिला कलक्टर से मिलेगा और मंजू राईका को राष्ट्रपति वीरता
पुरस्कार दिलाने की मांग करेगा। उन्होंने बताया कि मंजू के साहस की मिसाल देश व दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचे और
इससे अधिकाधिक युवाओं को प्रेरणा मिले, इसी उद्देश्य
से वीरता पुरस्कार की मांग की जाएगी।
प्रशासन के पास फुर्सत नहीं
बाड़मेर की बहादुर बेटी मंजू के साहस की हर कोई सराहना
कर रहा है, लेकिन जिला प्रशासन बाड़मेर के पास
इस प्रेरणादायक कार्य की हौसला अफजाई के लिए फुर्सत ही नहीं है। यही हाल जनप्रतिनिधियों का भी है।
किसी भी प्रशासनिक अधिकारी व जनप्रतिनिधि ने अब तक इस बहादुर बेटी के घर जाकर उसका
हाल नहीं पूछा। छलांग लगाकर कुएं में 55 फीट
की गहराई तक कूदने के कारण उसके पांवों में दर्द है। आशंका है कि उसके बाएं पैर में
हेयरलाइन फ्रैक्चर है। साहसिक कार्य के 72 घण्टे बाद उसके चेहरे की शिकन दर्द को साफ बयां करती है। हालांकि उसके दादा ने
चिकित्सकीय परामर्श लिया, लेकिन
उसका ठीक से परीक्षण नहीं हुआ और दर्द निवारक देकर मंजू को वापस गांव भेज दिया गया। फिलहाल वह शहर से 11 किलोमीटर दूर अपनी ढाणी में है। उसे
चिकित्सकीय मदद की जरूरत है।
आभार:-राजस्थान पत्रिका
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